मन की तरंग मार लो बस हो गय भजन ।

आदत बुरी सुधार लो बस हो गया भजन
आऐ हो तुम कहाँ से जाओगे तुम जहाँ । इतना सा बस विचार लो बस हो गया भजन ॥
कोई तुम्हें बुरा कहे तुम सुन करो क्षमा । वाणी का स्वर संवार लो बस हो गया भजन ॥
नेकी सभी के साथ में बन जाये तो करो । मत सिर बदी का भार लो बस हो गया भजन ॥
कहना है साफ साफ ये सदगुरु कबीर का । निज दोष को निहार लो बस हो गया भजन ॥
हर्बल चिकित्सा के अनमोल रत्न